Tuesday, April 9, 2013

सहरा.. :-

सहरा.. :-

..एक सहरा है..
..एक सहरा है हर तरफ..
..और दूर तक जैसे जिन्दगी के निशान नही..

..कही खत्म नही होता..
..कभी खत्म नही होता..
..बस फैलता जाता है अनगिनत अनन्त..
..और बचा रहता है मीलो सन्नाटा..
..और बची रहती है ढेरो खामोशी..

..अजीब है..
..अजीब है मगर..
..फिर भी कुछ लोग..
..इसमे सुकून ढूंढते हैँ..
..जैसे मैँ..
..जैसे तुम..

..सुबह सुबह रेत कितनी ठंडी होती है ना..
..दिल करता है मीलो तक चलते रहो..
..दोपहर मे एक छाँव मिल जाये तो क्या कहने..
..शाम, डुबते सुरज से ज्यादा उदास..
..और रात बिताने के लिये..
..बहुत बहुत बङा खुला और साफ आसमान..

..उफ, लगता है जैसे..
..जन्नत अगर कही है..
..तो यही हैँ, यही हैँ..

..मै और तुम भी..
..कुछ इसी तरह गुजर रहे है..
..जैसे एक सहरा है..
..जैसे एक सहरा है हर तरफ..
..और दूर तक जिन्दगी के निशान नही..



                                      हरेन्द्र सिंह कुशवाह

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