मेरे साथ मेरा, इतना ही सामान बचा है.. !
..पैरो जितनी जमीन, सर जितना आसमान बचा है.. !!
..वो कौन है, देखता है मुझको आइने से.. !
..शायद घर मे इक मेहमान बचा है.. !!
..दंगो ने ये हालत मेरे घर कि की है.. !
..जहाँ बस्ती थी, अब श्मशान बचा है.. !!
..तेरे जाने से शहर कि रोनकें न कम हुयी.. !
..बस एक मेरी ही नजर मे वीरान बचा है.. !!
..तू थी तेरे होने से घर, घर जैसा था.. !
..अब तू नही तो एक मकान बचा है.. !!
..मेरे साथ मेरा, इतना ही सामान बचा है.. !
..पैरो जितनी जमीन, सर जितना आसमान बचा है.. !
हरेन्द्र सिंह कुशवाह
..पैरो जितनी जमीन, सर जितना आसमान बचा है.. !!
..वो कौन है, देखता है मुझको आइने से.. !
..शायद घर मे इक मेहमान बचा है.. !!
..दंगो ने ये हालत मेरे घर कि की है.. !
..जहाँ बस्ती थी, अब श्मशान बचा है.. !!
..तेरे जाने से शहर कि रोनकें न कम हुयी.. !
..बस एक मेरी ही नजर मे वीरान बचा है.. !!
..तू थी तेरे होने से घर, घर जैसा था.. !
..अब तू नही तो एक मकान बचा है.. !!
..मेरे साथ मेरा, इतना ही सामान बचा है.. !
..पैरो जितनी जमीन, सर जितना आसमान बचा है.. !
हरेन्द्र सिंह कुशवाह
waah yeh bhi aapne nahi likha janaab..
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